JAI BABA BALAK NATH JI
बाबा बालक
नाथ
का
यह
गुफा
मंदिर
पूरे
वर्ष
श्रद्धालुओं
से
भरा
रहता
है।
बिलासपुर
की
सीमा
पर
स्थित
यह
मंदिर
चारों ओर के
सड़क
मार्ग
से
सरलता
से
पहुंचा
जा
सकता
है।
नवरात्रों
के
अवसर
पर
बाबा
का
आशीर्वाद
लेने
के
लिए
यहां
लोग
बड़ी
संख्या
में
पहुंचते
हैं।
बाबा बालकनाथ जी का मंदिर, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश।
इनके पूजनीय स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छकमोह गाँव की पहाडी के उच्च शिखर में स्थित है। मंदिर में पहाडी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है, ऐसी मान्यता है, कि यही स्थान बाबाजी का आवास स्थान था। मंदिर में बाबाजी की एक मूर्ति स्थित है , भक्तगण बाबाजी की वेदी में रोट चढाते हैं, “ रोट ” को आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है । यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है, यहाँ पर बकरे की बलि नहीं चढाई जाती बल्कि उनका पालन पोषण करा जाता है। बाबाजी की गुफा में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है, लेकिन उनके दर्शन के लिए गुफा के बिलकुल सामने एक ऊँचा चबूतरा बनाया गया है, जहाँ से महिलाएँ उनके दूर से दर्शन कर सकती हैं। मंदिर से लगभग छहः कि.मी. आगे एक स्थान “शाहतलाई” स्थित है , ऐसी मान्यता है, कि इसी जगह बाबाजी “ध्यानयोग” किया करते थे
बाबा बालकनाथ जी का मंदिर, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश।
इनके पूजनीय स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से जाना जाता है, यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के छकमोह गाँव की पहाडी के उच्च शिखर में स्थित है। मंदिर में पहाडी के बीच एक प्राकॄतिक गुफा है, ऐसी मान्यता है, कि यही स्थान बाबाजी का आवास स्थान था। मंदिर में बाबाजी की एक मूर्ति स्थित है , भक्तगण बाबाजी की वेदी में रोट चढाते हैं, “ रोट ” को आटे और चीनी/गुड को घी में मिलाकर बनाया जाता है । यहाँ पर बाबाजी को बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो कि उनके प्रेम का प्रतीक है, यहाँ पर बकरे की बलि नहीं चढाई जाती बल्कि उनका पालन पोषण करा जाता है। बाबाजी की गुफा में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध है, लेकिन उनके दर्शन के लिए गुफा के बिलकुल सामने एक ऊँचा चबूतरा बनाया गया है, जहाँ से महिलाएँ उनके दूर से दर्शन कर सकती हैं। मंदिर से लगभग छहः कि.मी. आगे एक स्थान “शाहतलाई” स्थित है , ऐसी मान्यता है, कि इसी जगह बाबाजी “ध्यानयोग” किया करते थे
दर्शन दो सिद्ध जोगी नाथ
! दर्शन दो सिद्ध जोगी नाथ मोरी अँखियाँ प्यासी रे ..!۞!
मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
.दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..!۞!
मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दीखे सूरत तेरी .
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ..
.दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले .
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ..
दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ नैनन को कैसे समजाऊँ .
आँख मिचौली छोड़ो अब तो घट घट वासी रे ..
दर्शन दो जोगी नाथ मोरि अँखियाँ प्यासी रे ..!۞!
MERE SIDH JOGI NATH JI
- balak409@yahoo.com
जय बाबे दी
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